14 फरवरी को बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने और तेल कलश यात्रा की तिथि होगी तय

पांडुकेश्वर। बदरीनाथ धाम कपाट खुलने की तिथि तय करने की प्रक्रिया के तहत रविवार को गाडू घड़ा (तेल कलश) नृसिंह मंदिर जोशीमठ से पूजा-अर्चना पश्चात योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर पहुंचा। वसंत पंचमी पर्व पर 14 फरवरी को यह तेल कलश टिहरी के नरेंद्रनगर राजमहल पहुंचेगा। इसी दिन बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने और तेल कलश यात्रा की तिथि तय होगी।

बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि नरेंद्रनगर राजमहल में वसंत पंचमी को तय होनी है। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि इसके लिए तैयारी शुरू हो गई है। 14 फरवरी को ही डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के प्रतिनिधि तेल कलश राजमहल को सौंपेंगे।
बाद में राजमहल से कलश में तिलों का तेल भरकर बदरीनाथ धाम पहुंचाया जाता है। कपाट खुलने के बाद इसी तेल से भगवान बदरी विशाल की महाभिषेक पूजा होती है। मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि रविवार को तेल कलश नृसिंह मंदिर के भंडार से डिमरी पंचायत प्रतिनिधियों को सौंपा गया।

नृसिंह मंदिर व वासुदेव मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद वह योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर पहुंचे, जहां बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने पूजा-अर्चना संपन्न की। इससे पहले कुबेर देवरा समिति ने फूल मालाओं से उनका भव्य स्वागत किया। सोमवार सुबह तेल कलश पहले नृसिंह मंदिर और फिर दिन के भोग के बाद लक्ष्मी-नारायण मंदिर डिम्मर पहुंचेगा।

14 फरवरी की सुबह नरेंद्रनगर राजमहल पहुंचेगा कलश

13 फरवरी को कलश डिम्मर से ऋषिकेश और 14 फरवरी की सुबह नरेंद्रनगर राजमहल पहुंचेगा। वहां मंदिर के कपाट खुलने की तिथि के साथ तेल कलश यात्रा की भी तिथि तय होगी। इस अवसर ब्रिगेडियर एमएस ढिल्लन, पूर्व धर्माधिकारी आचार्य भुवन चंद्र उनियाल, पं.मोहित सती, ज्योतिष डिमरी, कुबेर देवरा समिति के अनूप भंडारी, राजेश मेहता, प्रधान बबीता पंवार आदि मौजूद रहे।

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