बेटियों को उच्च शिक्षा हासिल करने में मदद करने के लिए गौरा देवी योजना शुरू की गई

उत्तराखंड में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की बेटियों के लिए उच्च शिक्षा का सपना पूरा करने में अब औपचारिकताओं का अवरोध खत्म हो गया। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने आवेदन की दिक्कतों को देखते हुए पुराने प्रारूप पर आवेदन स्वीकार किए जाने के निर्देश विभागीय सचिव को दिए हैं।

प्रदेश की बेटियों को उच्च शिक्षा हासिल करने में मदद करने के लिए  करीब एक दशक पर गौरा देवी योजना शुरू की गई थी। पहले योजना के तहत 25 हजार रुपये दिए जाते थे। कई बार संशोधन के बाद अब इंटर पास करने वाली बेटियों को उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए 51 हजार रुपये दिए जाते हैं। लेकिन अब सरकार की ओर से नए फॉरमेट का आवेदन मांगा गया।

इसमें सबसे खास बिंदु आवेदन में तीन महीने के पानी के बिलों की प्रति देने का है। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर परिवार हैंडपंप से प्यास बुझाते हैं। ऐसे में बिल न होने से इस योजना के लिए आवेदन करना मुश्किल हो रहा था। इसके अलावा देहात क्षेत्र की बेटियों को आवेदन करने के लिए अपने माता या पिता का मनरेगा का जॉब कार्ड का नंबर देना था।

इतना ही नहीं मनरेगा में तीन साल किए काम का विवरण भी देना था। गांवों में ऐसे हजारों परिवार हैं, जिनका जॉब कार्ड ही नहीं बना है। इतना ही नहीं कर ग्राम पंचायत में लगातार तीन साल भी मनरेगा योजना के तहत काम नहीं होता।

यह भरना था नए प्रारूप में विवरण

आवेदन के नए प्रारूप में ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा जॉब कार्ड का नंबर, जॉब कार्ड से तीन साल में पाए गए रोजगार का विवरण, आवेदन करने वाली बेटी के परिवार के लोगों के बैंकों के तीन साल का स्टेटमेंट, खाते नंबर, कृषि भूमि, वाहनों का विवरण, पक्का या कच्चा मकान, कक्षों की संख्या, एरिया और इनका  वर्तमान मूल्य की जानकारी देनी थी। पानी और बिजली के तीन महीने के बिलों की प्रति, सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना में परिवार की स्थिति के विवरण का प्रमाणपत्र आदि भी लगाने थे।

दोबारा भरना पड़ रहा था फॉर्म

जिन बेटियों की ओर से बाल विकास परियोजनाओं में पुराने प्रारूप पर आवेदन जमा करा दिए गए हैं, उन सभी को भी दोबारा से आवेदन करना पड़ रहा था। पुराने प्रारूप पर जमा कराए गए आवेदन निरस्त माने गए थे।

नंदा गौरा योजना के आवेदन पत्र के प्रारूप के साथ बैंक अकाउंट, कृषि भूमि, वाहन सहित कई चीजों की जानकारी अभिलेखों के रूप में मांगी जा रही थी। इससे आवेदन करने वालों को परेशानी हो रही थी। अब विभागीय सचिव को कहा गया है कि पूर्व की व्यवस्था को लागू किया जाए।

Leave A Reply

Your email address will not be published.