संभल में पिछले महीने मुगलकालीन मस्जिद के सर्वेक्षण के आदेश के बाद हिंसक झड़पें हुई थीं। जिसमें कई लोगों की मौत भी हुई थी। लखनऊ में मीडिया से बातचीत करते हुए अखिलेश यादव ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार अपनी असफलता को छिपाने और जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए कई जगहों पर खुदाई करवा रही है। इसमें वो अपना फायदा देख रही है।
अखिलेश यादव के इस बयान पर भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने पलटवार करते हुए सवाल किया कि समाजवादी पार्टी के प्रमुख अख‍िलेश यादव को संभल में खुदाई से परेशानी क्यों है? उन्‍होंने पीटीआई से बात करते हुए कहा क‍ि ”2013 में अखिलेश यादव 1,000 टन सोने की खुदाई के लिए पूरे राज्य की मशीनरी लगा दी थी। उन्हें सोना निकालने में कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन ‘शिवलिंग’ से दिक्कत है। यही कारण है कि वे मुख्यमंत्री आवास की खुदाई की बात कर रहे हैं।”
वहीं भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी समाजवादी पार्टी की आलोचना करते हुए इसे “शर्मनाक” करार दिया है। उन्होंने कहा क‍ि “वोट बैंक की राजनीति के लिए शिवलिंग का मजाक उड़ाना समाजवादी पार्टी की ओछी राजनीति को दर्शाता है।” वहीं नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने भी अखिलेश यादव को करारा जवाब दिया है।
उन्‍होंने कहा क‍ि अखि‍लेश को शिवलिंग और शिव के विषय में कुछ भी मालूम नहीं है। उनको नहीं पता कि शिवलिंग किस चीज का प्रतीक है। अखिलेश यादव और आजम खान के घर की भी खुदाई करेंगे तो वहां भी शिवलिंग विद्यमान है। अखिलेश यादव को ताे ये तक मालूम नहीं है क‍ि शिव की महिमा कण-कण में है। श‍िव हर जगह व‍िद्यमानहैं।
आपको बता दें क‍ि अखिलेश यादव ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा था क‍ि “हमें विश्वास है कि सीएम आवास के नीचे भी एक ‘शिवलिंग’ है। वहां भी खुदाई कराई जानी चाहिए।” उन्होंने बीजेपी पर यह भी आरोप लगाया था कि “मासूम लोगों के घरों को बुलडोजर से अवैध रूप से तोड़ा जा रहा है।” यह विकास नहीं, विनाश है। मुख्यमंत्री के हाथों में विकास की रेखा नहीं है, बल्कि विनाश की रेखा है।
संभल में पिछले हफ्ते प्राचीन “मृत्यु कुंड” (मौत का कुआं) की खुदाई और मरम्मत का काम शुरू हुआ था। स्थानीय लोगों ने बताया क‍ि यह कुआं कई सालों से बंद पड़ा था और इसमें मलबा भर दिया गया था। अब इसे साफ किया जा रहा है। उनका मानना है कि यह सिर्फ एक ऐतिहासिक स्थल नहीं बल्कि एक पवित्र स्थान भी है। इस कुंड में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह संरचना मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के पास स्थित है, जहां पिछले महीने एक स्थानीय अदालत के आदेश पर किए गए सर्वेक्षण के कारण हिंसा भड़क उठी थी। इस हिंसा में चार लोगों की मौत भी हो गई थी। हिंसा के बाद जिले में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं थीं। अदालत का यह सर्वेक्षण उस याचिका के बाद कराया गया था जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद के स्थान पर पहले हरिहर मंदिर था।