उत्तराखंड में निकाय चुनाव का रास्ता साफ, राजभवन ने ओबीसी आरक्षण अध्यादेश को दी मंजूरी
दोषी पाए जाने पर नहीं रह सकेंगे निकाय के सदस्य
यह प्रविधान भी किया गया है कि वित्तीय अनियमितता अथवा किसी शिकायत के प्रकरण में नगर पालिका अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोषी पाए जाते हैं तो वे निकाय के सदस्य भी नहीं रह पाएंगे। साथ ही पांच साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
आयोग की संस्तुति के अनुसार आरक्षण निर्धारण के लिए नगर निगम व नगर पालिका अधिनियम में संशोधन के लिए पूर्व में अध्यादेश लाया गया था। अगस्त में हुए विधानसभा के ग्रीष्मकालीन सत्र में इसे रखा गया, लेकिन तब यह विषय प्रवर समिति को सौंप दिया गया था। समिति ने इस विषय पर अध्ययन जारी रखने के साथ ही वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर चुनाव कराने की संस्तुति दी थी।
यह भी साफ किया गया है कि अनुसूचित जाति, जनजाति व ओबीसी के लिए आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक नहीं होगा। यदि कहीं अनुसूचित जाति व जनजाति का आरक्षण 50 प्रतिशत या इससे अधिक है तो वहां ओबीसी को आरक्षण नहीं मिलेगा।