मौसम के बदले पैटर्न से विज्ञानी भी हैरान, 38 साल बाद पहली बार देहरादून में बिना बारिश के गुजरा मार्च

उत्तराखंड में मौसम के पैटर्न में बदलाव देखने को मिल रहा है। बीते सवा माह से प्रदेश में बारिश न के बराबर हुई है और तापमान लगातार चढ़ रहा है। समय से पहले गर्मी बढ़ने और वातावरण में नमी कम होने का असर नदियों से लेकर खेत और बागीचों तक हर तरफ नजर आ रहा है। मौसम की इस बेरुखी से विज्ञानी भी हैरान हैं।

राज्य में शुष्क मौसम के बीच पारे में उछाल बरकरार है। मौसम की बेरुखी के चलते मार्च सूखा बीत गया और अप्रैल के पहले सप्ताह में भी मेघ नहीं बरसे। पूरे प्रदेश की बात करें तो हर साल मार्च में औसतन 54.9 मिलीमीटर बारिश होती है, जो इस वर्ष 2.2 मिलीमीटर पर सिमट गई। यह सामान्य से 96 प्रतिशत कम है। खासकर देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, टिहरी, पौड़ी और अल्मोड़ा में करीब सवा माह से मेघ नहीं बरसे हैं।

जबकि, इन जिलों में मार्च में सामान्य बारिश 10 मिलीमीटर से 46 मिलीमीटर तक दर्ज की जाती रही है। शेष सात जिलों में भी नाममात्र की बारिश हुई है। दून में 38 साल बाद यह पहला मौका है, जब मार्च बिना बारिश के गुजर गया। बारिश नहीं होने से ज्यादातर जिलों में पारा भी सामान्य से कई डिग्री सेल्सियस तक अधिक बना रहा। इससे मार्च मध्य से ही भीषण गर्मी का एहसास हो रहा है।

मौसम विशेषज्ञ बारिश न होने और तापमान में अत्यधिक वृद्धि होने का कारण पश्चिमी विक्षोभ व चक्रवाती प्रवाह के कमजोर पडऩे को मान रहे हैं। राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह का कहना है कि मौसम का पैटर्न इस बार कुछ बदला है। बारिश न होने से कुछ इलाकों में मौसम अधिक शुष्क है। अगले कुछ दिन मौसम ऐसा ही रहेगा। बारिश न होने से तापमान में और बढ़ोतरी हो सकती है।

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