भारत के लोगों की जेब पर भारी पड़ेगा यूक्रेन संकट का असर
रूस ने पूर्वी यूक्रेन में दो अलगाववादी क्षेत्रों को मान्यता देने और वहां अपने सैनिकों को भेजने का फैसला कीमतों के लिए बुरी खबर लेकर आया। जिससे कच्चे तेल की कीमतों में करीब चार प्रतिशत का उछाल आया। इसके चलते विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपये में 29 पैसे की भारी गिरावट आई।
मुंबई। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की आग की लपटें अब आम भारतीय ग्राहक को भी झुलसाने लगी है। कच्चा तेल 98 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया है, रूस से गैस सप्लाई प्रभावित होने की आशंका से गैस की कीमतें भी उफान भर रही हैं। वहीं रुपये की गिरती कीमत ने रही बची कसर पूरी कर दी है। बीते 5 दिनों से जारी तेजी के बाद मंगलवार को बाजार एक दम से धड़ाम हो गया।
रूस ने पूर्वी यूक्रेन में दो अलगाववादी क्षेत्रों को मान्यता देने और वहां अपने सैनिकों को भेजने का फैसला कीमतों के लिए बुरी खबर लेकर आया। जिससे कच्चे तेल की कीमतों में करीब चार प्रतिशत का उछाल आया। इसके चलते विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपये में 29 पैसे की भारी गिरावट आई। इसी के साथ 74.84 प्रति डॉलर पर आ गया।
क्यों लुढ़क रहा है रुपया
बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों की सतत निकासी, घरेलू शेयर बाजार में सुस्ती तथा कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के कारण निवेशकों की कारोबारी धारणा प्रभावित हुई। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया कारोबार के अंत में 29 पैसे की गिरावट के साथ 74.84 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इस बीच, डॉलर सूचकांक 0.04 प्रतिशत के नुकसान से 96.03 रह गया।
भड़केगी महंगाई
रूस और यूक्रेन के बढ़ते तनाव के कारण वैश्विक नेताओं ने रूसी राष्ट्रपति की आलोचना की है। इससे तेल एवं गैस आपूर्ति के प्रभावित होने की आशंका पैदा हुई है। आपूर्ति चिंताओं के कारण कच्चे तेल की कीमत लगभग सात वर्ष के उच्चतम स्तर को छू गई, जिससे रुपये की धारणा प्रभावित हुई। वैश्विक मानक ब्रेंट कच्चे तेल का दाम 3.56 प्रतिशत की तेजी के साथ 98.79 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
आपकी जेब में एक और महंगाई का छेद
रुपये की कमजोरी से सीधा असर आपकी जेब पर होगा। आवश्यक सामानों की कीमतों में तेजी के बीच रुपये की कमजोरी आपकी जेब को और छलनी करेगी। भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। अमेरिकी डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी। इसका सीधा असर हर जरूरत की चीज की महंगाई पर होगा।
मोबाइल लैपटॉप से लेकर कार तक सब महंगे
रुपये की कमजोरी से आपकी जरूरत के मोबाइल फोन, एक्सेसरीज, लैपटॉप, टीवी भी महंगे हो जाएंगे। भारत में अधिकतर मोबाइल की असेंबलिंग होती है जिसके पुर्जे विदेशों से आते हैं। यही हाल आटो सेक्टर पर भी है। यह सेक्टर पहले ही चिप की किल्लत से जूझ रहा है। वहीं अब मैटल और पार्ट भी महंगे होंगे।
विदेश में पढ़ना महंगा
इसका असर विदेश में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों पर रुपये की कमजोरी का खासा असर पड़ेगा। इसके चलते उनका खर्च बढ़ जाएगा। वे अपने साथ जो रुपये लेकर जाएंगे उसके बदले उन्हें कम डॉलर मिलेंगे। वहीं उन्हें चीजों के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी। इसके अलावा विदेश यात्रा पर जाने वाले भारतीयों को भी ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।
आईटी कंपनियों को दिखा फायदा
रुपये की कमजोरी से निर्यात क्षेत्र को राहत मिली है। खासतौर पर आईटी कंपनियों के लिए अच्छी खबर है। इससे उनकी कमाई में इजाफा होगा। इसी तरह एक्सपोटर्स को फायदा होगा, जबकि आयातकों को नुकसान होगा।