चौपता चौंरी कौथीक में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़,मां गिरजा भवानी राजराजेश्वरी से मांगी मनौतियां
स्थानीय संपादक / नारायणबगड़ चमोली। पिंडर घाटी का सुप्रसिद्ध चौपता कौथीक अपने चरम पर है और हर दिन माता के भक्तों का दर्शनों के लिए हुजूम उमड़ रहा है।
शनिवार को उत्तरी कड़ाकोट पट्टी के चौपता चौंरी में गिरिजा भवानी राजराजेश्वरी सिद्धपीठ में अष्टमी पर्व पर माता के भक्तों और मेलार्थियों की खूबसूरत भीड़ देखने को मिली।
इससे पहले कालरात्रि और सप्तमी के पर्व पर चौपता चौंरी में रात्रि को श्रद्धालुओं और मेलार्थियों को मेला कमेटी की ओर से देवी-देवताओं की गाथाओं और प्रचलित परंपराओं पर आधारित जीवंत प्रस्तुतियों का मंचन किया गया। कालरात्रि को शिव पार्वती संवाद और दक्ष प्रजापति के यज्ञ में सती हुई पार्वती का मंचन खूब सराहा गया। इसके बाद नंदा देवी कैलाश यात्रा की झांकी और नन्दा तेरी जात कैलाश लिजोला जैसे गीत ने संपूर्ण माहौल को नन्दा मय बना दिया और महिलाओं की आंखों से आंसू बहकर देवी भी अवतरित हुई।
कालरात्रि का सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र बूढ़ी माता यानी गोदड़ा माई का अपनी नौ बहिनों से मिलन का रहा इस अवसर पर गिरजा भवानी राजराजेश्वरी सहित नौ देवियों ने एक दूसरे को भेंटा। कालरात्रि के तीसरे पहर पर काली अवतरित हुई और दैत्यों का संहार कर अपने भक्तों को खुशहाली का आशीर्वाद दिया। कालरात्रि पर सैकड़ों उन लोगों ने अपनी भेंट माता को चढ़ाई जिनकी मनोकामनाएं पूरी हुई हैं।
सप्तमी के दिन भी चौपता चौंरी कौथीक में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। हजारों की संख्या में लोगों ने मां गिरजा भवानी राजराजेश्वरी से मनौतियां मांगी।
अष्टमी के दिन भूमियाल देवता,मां गिरजा भवानी,नन्दा देवी आदि देवी-देवताओं ने केली बग्वान में जाकर अपने भक्तों को दर्शन और आशीर्वाद दिया।इस अवसर पर हनुमान झंडा को लाया गया और हनुमान जी की पूजा अर्चना की गई।
चौपता कौथीक में शानदार सांस्कृतिक पांडाल से स्थानीय लोक गायकों, महिलाओं और स्कूली बच्चों ने लोक संस्कृति की प्रस्तुतियां देकर वाहवाही बटोरी। चौपता कौथीक में सैकड़ों की संख्या में दुकानें भी सजी हुई हैं जिनमें लोगों ने जमकर खरीदारी की। इसी के साथ नन्हें मुन्नों के लिए चरखी,जंपिंग स्पॉट,रनवे भी लगाये गये हैं, जिनपर नन्हें मुन्नों का कौलाहल देखने लायक था।
इस रात-दिन के चौपता चौंरी नवरात्र कौथीक के अवसर पर मंदिर के प्राचीर पर लगे लाउडस्पीकरों से लगातार मेलार्थियों को तमाम तरह की हिदायतों के साथ ही मंत्रोच्चारण सुनाये जाते रहे।
बताते चलें कि चौपता चौंरी कौथीक में श्रद्धालुओं का अटूट आस्था और श्रद्धा है।लोग यहां दूर दूर से अपनी मनौतियों को लेकर आते हैं।कहते हैं यहां आकर दुखों का अंत होता है और यह मेला प्रत्यैक तीन सालों में आयोजित होता है।
इन दिनों उत्तरी कड़ाकोट के गांवों में खूब चहल-पहल है।प्रवासीगण घरों को लौटे हैं तो नाते रिश्तेदारों की भी खूब आवभगत हर्षोल्लास से की जा रही है। पिंडर घाटी का यह नवरात्र कौथीक सबसे बड़ा मेला है। बताते हैं कि यहीं पर आदि गुरु शंकराचार्य काल का गुरु गौरखनाथ की अखंड धूनी भी विराजमान है जिसकी बभूति अनन्य व्याधियों और समस्याओं को दूर करने में सक्षम है।
इस गिरजा भवानी राजराजेश्वरी मंदिर के पुजारी चौपता और सोल्टा गांव के सती ब्राह्मण हैं जो नौ दिनों तक दिन-रात माता की सेवा में लगे रहते हैं।
इस अवसर पर मंदिर समिति के अध्यक्ष अवतार सिंह सिनवाल,सचिव सरोप सिंह सिनवाल, कोषाध्यक्ष रणजीत सिंह,बजगीर कार्तिक राम, दिगपाल राम,मोहन राम, बलवीर सिंह नेगी, दिगपाल सिंह रावत, मोहन सिंह रावत,प्राधन पृथ्वी नेगी,सुरजीत सिंह नेगी, मेलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद,पुजारी लीला नंद सती भास्करानंद सती, संदीप प्रसाद सती,जगदीश प्रसाद सती,अरुण प्रसाद सती,राजेश प्रसाद सती,रजनीश प्रसाद सती आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट- सुरेन्द्र धनेत्रा